Different Types of Vaccine (विभिन्न प्रकार के टीके)
What are the different types of vaccine ? How they are prepared ?
UPSC परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी खंड में यह लेख बहुत मददगार होगा। इस लेख में हम टीके बनाने के अलग अलग विधियों के अतिरिक्त वर्तमान में अस्तित्व में विभिन्न प्रकार के टीकों पर चर्चा करेंगे। आशा है छात्रों के अतिरिक्त विज्ञान में अभिरुचि रखने वाले लोग भी बहुत सी जानकारी से अवगत हो सकेंगे।
वैक्सीन (vaccine ) एक जैविक तैयारी है जो एक विशिष्ट बीमारी के लिए सक्रिय अधिग्रहित प्रतिरक्षा (active acquired immunity) प्रदान करती है। आम तौर पर, एक टीके (vaccine ) में एक ऐसा एजेंट (agent) होता है जो रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव (disease causing microbe) से मिलता जुलता होता है।
विभिन्न प्रकार के टीके (Different types of Vaccines)
1.निष्क्रिय टीका (Inactivated Vaccine) : इस प्रकार के टीके एक रोगज़नक़ अर्थात रोग पैदा करने वाले कीटाणु (pathogen) को निष्क्रिय करके बनाए जाते हैं,
आमतौर पर बहुत अधिक ताप उत्पन्न करके या रसायनों जैसे फॉर्मलाडेहाइड (Formaldehyde) या फॉर्मेलिन (Formalin) का उपयोग करके इनके स्वयं के वृद्धि करने अर्थात दोहराने (replicate) की क्षमता को नष्ट कर देता है, लेकिन इसे फिर भी इस कीटाणु को बरकरार (intact) रखता है ताकि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) अभी भी इसे पहचान सकेऔर इसके जैसे कोई अन्य जीवित कीटाणु ( वायरस या बैक्टीरिया ) से लड़ने के लिए शरीर को तैयार कर सके। पोलियो टीका और रेबीज टीका इस तरह से बनाई जाती है।
कोवैक्सिन (covaxin ) को ICMR और भारत बायोटेक ने मिलकर इसी विधि अर्थात पारंपरिक इनएक्टिवेटेड प्लेटफॉर्म (Inactivated platform) पर बनाया गया है। इसमें डेड वायरस (SARS–CoV-2) को शरीर में डाला जाता है, जिससे एंटीबॉडी पैदा होती है और फिर यही एंटीबॉडी वायरस को मारती है। यह वैक्सीन लोगों को संक्रमित करने में सक्षम नहीं है क्योंकि वैक्सीन बनाना बेहद फाइन बैलेंस का काम होता है ताकि वायरस शरीर मे एक्टिवेट न हो सके।
ये इनक्टिवेटेड वायरस शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को असली वायरस को पहचानने के लिए तैयार करता है और संक्रमण होने पर उससे लड़ता है और उसे खत्म करने की कोशिश करता है। इस वैक्सीन से कोरोना वायरस को खतरा है, इंसानों को नहीं।हाल ही में हुए शोध में यह दावा किया गया है कि कोवैक्सिन कोरोना के सभी वेरिएंट्स के खिलाफ कारगर है।
2.वायरल वेक्टर वैक्सीन (viral Vector Vaccine) : इस प्रकार का वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है।
इस प्रकार के टीके (vaccine) सिंगल वायरस के जरिए बनाया गया है जो कि चिम्पैंजी में पाए जाने वाले एडेनोवायरस (adenovirus) (चिंपैंजी के मल में पाया जाने वाला वायरस) ChAD0x1 से बनी है।ये वही वायरस है जो चिंपैंजी में होने वाले जुकाम का कारण बनता है लेकिन इस वायरस की जेनेटिक सरंचना SARS -CoV- 2 के वायरस से मिलती है इसलिए एडेनो-वायरस का उपयोग कर के शरीर मे एंटीबॉडी बनाने को वैक्सीन इम्युनिटी सिस्टम को प्रेरित करती है। यह वैक्सीन कोरोना के गंभीर लक्षणों से बचाती है और संक्रमित व्यक्ति जल्दी ठीक होता है।ये व्यक्ति को वेन्टिलर पर जाने से भी बचाती है।कोविशील्ड म्यूटेंट स्ट्रेन्स (अर्थात रूप बदले हुए वायरस) के खिलाफ सबसे असरदार और प्रभावी है।
स्पुतनिक (sputnik) V मास्को के गामालेया संस्थान (Gamaleya Institute) द्वारा विकसित वैक्सीन है। स्पुतनिक V भी एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है,
जो शरीर में कोरोनावायरस के एक छोटे से टुकड़े को पहुंचाने के लिए वाहक के रूप में एक ठंडे-प्रकार के वायरस का उपयोग करता है, जिसे हानिरहित बनाया जाता है। लेकिन इसमें और बाकी वैक्सीन में एक बड़ा फर्क यही है कि बाकी वैक्सीन को एक वायरस से बनाया गया है, जबकि इसमें दो वायरस हैं और इसके दोनों डोज अलग-अलग होते हैं। स्पुतनिक V को भारत ही नहीं बल्कि हर जगह अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन माना गया है । स्पुतनिक V 91.6 % प्रभावी है। ऐसे में इसे सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीन कहा जा सकता है। यह सर्दी, जुकाम और अन्य श्वसन रोग पैदा करने वाले एडेनोवायरस-26 (Ad26) और एडेनोवायरस-5 ( Ad5) अर्थात 2 अलग अलग प्रकार के वायरस पर आधारित है। यह कोरोना वायरस में पाए जाने वाले कांटेदार प्रोटीन (Spike प्रोटीन- यही वो प्रोटीन है जो शरीर की कोशिकाओं अर्थात सेल्स में एंट्री लेने में मदद करता है) की नकल करती है, जो शरीर पर सबसे पहले हमला करता है। वैक्सीन शरीर में पहुंचते ही प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) सक्रिय हो जाता है। और शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता (antibody) पैदा हो जाती है। यही एंटीबॉडी शरीर को कोरोना वायरस से बचाती हैं।इस तरह से वायरस के आनुवंशिक कोड के एक हिस्से के लिए शरीर को सुरक्षित रूप से उजागर करने से यह खतरे को पहचान सकता है और बीमार होने के जोखिम के बिना, इससे लड़ना सीख सकता है।
टीका लगने के बाद, शरीर विशेष रूप से कोरोनावायरस के अनुरूप एंटीबॉडी का उत्पादन करना शुरू कर देता है। इसका मतलब यह है कि प्रतिरक्षा प्रणाली को कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए तैयार किया जाता है जब यह वास्तविक रूप से इसका सामना करता है।
स्पुतनिक लाइट sputnik Light एकल डोज वाली वैक्सीन है। चूंकि स्पुतनिक वैक्सीन की दोनों डोज में दो अलग अलग वायरस उपयोग होते है तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन असल में स्पुतनिक-V वैक्सीन का पहला डोज ही है। ध्यान रहे कि स्पुतनिक-V में दो अलग-अलग वैक्सीन तीन हफ्ते के अंतराल के बाद दिए जाते हैं। अब इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि स्पुतनिक-V का पहला डोज भी कोरोना संक्रमण से बचाने में कारगर है और इसे ही स्पुतनिक-लाइट के रूप में लांच किया गया है। जिसका 79.4% प्रभावी (effectivness) है जो कि अन्य वैक्सीन के दो डोज से भी अधिक है यदि इसकी मंजूरी भारत में मिलती है, तो एक डोज में ही अधिक टीकाकरण किया जा सकेगा।जिससे टीकाकरण में तेजी भी लाई जा सकेगी।
3.एमआरएनए वैक्सीन ( mRNA Vaccine): एमआरएनए वैक्सीन (या आरएनए वैक्सीन) एक नए प्रकार का वैक्सीन है जो न्यूक्लिक एसिड आरएनए (nucleic acid RNA) से बना होता है, जिसे लिपिड नैनोपार्टिकल्स (lipid nanoparticles) जैसे वेक्टर (vector) के भीतर पैक किया जाता है। फाइजर (pfizer) और मॉडेर्ना (Moderna) के द्वारा बनाई गए टीके इसी प्रकार के है।
4.क्षीण वैक्सीन (Attenuated Vaccine) : क्षीण टीके कई अलग-अलग तरीकों से बनाए जा सकते हैं। जो तरीका सबसे आम है उन तरीकों में रोग पैदा करने वाले वायरस के कोशिका संवर्धन (cell cultures) की एक श्रृंखला या जानवरों के भ्रूण (animal embryos) (आमतौर पर चूजे के भ्रूण) के माध्यम से बनाया जाता है। जब इस वायरस से तैयार वैक्सीन मानव को दिया जाता है, तो यह बीमारी पैदा करने के लिए पर्याप्त रूप से स्वयं दोहराने (self replicate) में असमर्थ होगा, लेकिन फिर भी एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune response) को उत्तेजित (provoke) करेगा जो भविष्य के संक्रमण (future infection) से रक्षा कर सकता है।
5.टॉक्सोइड वैक्सीन (Toxoid Vaccine) : कुछ जीवाणु रोग (bacterial diseases) सीधे एक जीवाणु के कारण नहीं होते हैं, बल्कि जीवाणु (bacterium) द्वारा उत्पन्न विष (toxin) के कारण होते हैं। रोग के लक्षणों का कारण बनने वाले विष को निष्क्रिय (inactivate) करके इस प्रकार के रोगज़नक़ के लिए टीकाकरण (Immunizations) किया जा सकता है। जैसा कि मारे गए या निष्क्रिय टीकों (inactivated vaccine) उपयोग किए जाने वाले जीवों या वायरस के साथ होता है, वैसे ही इसमें भी एक रसायन जैसे कि फॉर्मेलिन के साथ उपचार के माध्यम से, या अत्यधिक गर्मी उत्पन्न करके या अन्य तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है।
6. सबयूनिट वैक्सीन ( Subunit Vaccine): इस प्रकार के टीके प्रतिरक्षा प्रणाली से रोगज़नक़ के केवल एक हिस्से को लक्ष्य कर उसके लिए शरीर में रोग निरोधी क्षमता विकसित किया जाता हैं। यह एक विशिष्ट प्रोटीन (special protein) को एक रोगज़नक़ (Pathogen )से अलग करके और इसे अपने आप में एक एंटीजन (antigen) के रूप में प्रस्तुत करके किया जा सकता है।
7. संयुग्मित टीका (Conjugate Vaccine) : संयुग्मित टीके कुछ हद तक पुनः संयोजक टीकों (recombinant vaccines) के समान होते हैं। वे दो अलग-अलग घटकों के संयोजन (combination of two different components.) का उपयोग करके बनाए जाते हैं। हालाँकि, संयुग्म टीके बैक्टीरिया के कोट (coats of bacteria) से टुकड़ों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। ये कोट रासायनिक रूप से वाहक प्रोटीन (carrier protein)से जुड़े होते हैं, और संयोजन का उपयोग टीके के रूप में किया जाता है।
8. संयोजी वैक्सीन (Valence Vaccine): टीके (vaccine) एकल संयोजी (monovalent) हो सकते हैं। एक एकल संयोजी वैक्सीन (monovalent vaccine) को एक एकल प्रतिजन (single antigen) या एकल सूक्ष्मजीव (single microorganism) के खिलाफ प्रतिरक्षण (immunize) के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक बहुसंयोजक टीका (multivalent or polyvalent vaccine ) एक ही सूक्ष्मजीव के दो या दो से अधिक उपभेदों (two or more strains), या दो या अधिक सूक्ष्मजीवों (two or more microorganisms) के खिलाफ प्रतिरक्षित (immunize) करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
9. हेटेरोटाइपिक वैक्सीन (Heterotypic Vaccine): हेटरोलॉजस टीके जिन्हें "जेनरियन वैक्सीन (Jennerian vaccines)" के रूप में भी जाना जाता है, वे टीके हैं जो अन्य जानवरों के रोगजनक(pathogens) हैं जो या तो बीमारी का कारण नहीं बनते हैं या इलाज किए जा रहे जीव में हल्के रोग का कारण बनते हैं।
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